I don't know how I missed this Ghazal from Jaggu da (Jagjit Singh). It is so beautifully written and more importantly so beautifully rendered by the Ghazak Maestro.
ग़म मुझे हसरत मुझे
वेह्शत मुझे सौदा मुझे
एक दिल देकर खुदा ने
दे दिया क्या क्या मुझे
ये नमाज़-ऐ-इश्क़ है कैसा अदब किसका अदब
अपने पाए नाज़ पर करने भी दो सजदा मुझे
देखते ही देखते दुनिया से मैं उठ जाऊंगा
देखती की देखती रह जायेगी दुनिया मुझे
- Jagjit Singh [Your Choice (1993)]
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